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बढ़े चलें
हर घरहर दिलहर गलीहर शहर,में हो मानवता कालहराता हुआपरचम,हो मन में संतोष और शांति ….अपनापन हो अथाह भरा…सुबह केउगते सूर्य के तेज़ कोअपने अंदर समाहित कर,प्रगति पथ पर,आओ सबहँसी खुशीबढ़े चलें । शुभ मंगल, शुभ प्रभात
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कुछ ऐसी अच्छी हवा है चली,
कुछ ऐसी अच्छी हवा है चली,महसूस करो….और साँसो में भरो,मानवता का पाठहैहर कोई पढ़ताऔरपढ़ाता।कुछ ऐसी अच्छी हवा है चलीमहसूस करो,और साँसो में भरो।आगे बढ़ोऔरआगे बढ़ो। ….आराधना खत्री गुरूंग
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शांति की लहर
शांति की लहरसभा की गहमागहमीमन का सारचले लगातारसारांश बोलते हुए बोल काचमकता सूरजदमकता सूरजशब्दों का हेर फेरशांत मनवाणी की मधुरताघुंघट की शालीनताअंह कभी कभीहै ओढ़ लेता जीवनसब की गतिसबके कदमचले एकसाथवो देखोजो कदमों के थापसे धूल है उड़तीवो है दर्शातीऊर्जासमझो और जानोगति ही है प्रगतिसमझो और जानो । ….आराधना खत्री गुरूंग
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नियमों की नियमावली
नियमों की नियमावलीबन गईनियमानुसार है नियम।एक भी जो हुआईधर से उधर,झट से नियमित नियमों से बाहर।काहे को भरे हो जोश,खो जायेगा होश।ज्यों जैसै हीक्रांति भाव खडे़,कर दिये जाओगेनियमों के निर्माण प्रक्रिया से अलग,अलग ना तु खड़ा हुआवैसे ही ईर्ष्या की लहरतुझे जा डुबायेगी। नियमों की नियमावलीबन गई,नियमानुसार है नियम। …आराधना खत्री गुरूंग
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क्रंदन का स्पंदन
क्रंदन का स्पंदनक्यों सहसा ठहाके लगाताअट्टाहसों का अनुरोधऔर अनुभवकुछ नियम आदत अनुसारकुछ हिम्मत से पहलेकी वक्त की पुकारऊथल पुथलजन का जीवनया फिरवही भेड़चाल की ….पुरानी चाल,समझ करऔर समझ गये,लगता हैबुढ़ाता है पल।कलरव करता,हर कोई।आओ जीवन के सार को समझतेआओ नये पलों का निर्माण करे ….आराधना खत्री गुरूंग
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पल पल का जीवन
पल पल का जीवनकल कल करतीजीवन प्रवाहजोश का संगमरोष का खंडनऔरफिर हुआ प्रारंभशब्दों का मंथनमंगलमय हो हर दिनहर जीवनईक सुविचार,और कई प्रहार।मन भला हो उच्चतम,स्तरहीन समाज,है क्यों लगता ःयादों का कारवां गुजरा,बातें कुछ दबी जुबां पर,मध्यम मध्यम…चलती जिम्मेदारी की बयार।हर कोई खुश खुश,हर कोई फरक फरक। …आराधना खत्री गुरूंग
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अलसायी सी आँखे
अलसायी सी आँखेकमर कस मेहनतसंजोये हर पलकुछ ओस करे ईकट्ठेचुने केवल चमकदार ख्वाबचाँदी की खनखनाहटधड़कनों की धड़कनसुन और बुनईन उंगलियों सेवह सपनों का जालफिर आयाकोई हैकहता, कहताआओ उठे सबकर ईशवंदनचले हमलो हम चले। ….आराधना खत्री गुरूंग
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चुपचाप जो बंदा पड़ा,
चुपचाप जो बंदा पड़ा,तो फट से,वो पूछ पड़ा,क्यों भला?गर है हिम्मत,तो आगाज़ करतु चार कदम तो चल,मैं झट सेकदम दस दौड़कर,फट से तुझे थाम लूंगा।बस तु जोश भरऔरकदम बढ़ा।बसकदम चार चल,मैं झट सेकदम दस दौड़कर,फट से तुझेथाम लूंगा।हे मानव,मैं तेरा ईश्वरकभी न तुझकोढलने दुंगा।बस तू पहलेकदम चार तो चल।मैं झट से तुझेथाम लूंगा। आराधना खत्री […]
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बहुमूल्य एहसास
आओ तुमको वह बहुमूल्य एहसास से मिलवाये,चलो मिलकर बेटी बचाये । यह है वह बीजजिससे होती है अनगिनत खुशियों की फसलें कोई नहीं कहींहै अकेला महसुस कर पाता।आओ इस खुशी कोअसंख्यों में गिनवाये, चलो मिलकर बेटी बचाये, हमारे दिलों की नन्ही सी प्यारी सी राजकुमारी को जीवन दिलाये। चलो मिलकर बेटी बचाये आराधना गुरूंग
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झलकता हुआ झलंकृत झंकारों
झलकता हुआ झलंकृत झंकारों के बीच एक सुरमयी,महकते हुये पुष्पों के मध्य सजा,क्या वह मासूम स्वपन देखा?बहुत ही बारीकी से गढ़ा,क्या खुब भावों से लदा,खुश रहें जो सदा,क्या वह सूर्ख हँसी देखी,आओ तुमको वो सुनहरा आभास ओढ़ायेचलो मिलकर बेटी बचायें ।है यह वो स्रोत…खुशियों और मासूम किलकारियों का,जिसमें डूबने का ना भय हैबस उसकी खिलखिलाती हँसी में […]